‘Tu Sath Toh Nahi’ beautifully encapsulates the lingering memories of a special bond. The poet reflects on the absence of a loved one, yet their presence feels deeply rooted in every moment.
With vivid imagery of smiles, conversations, and shared experiences, the poem highlights how this connection brought hope, courage, and a new perspective on life. It is a heartfelt tribute to a relationship that transformed the poet’s world.
तू साथ तो नहीं
तू साथ तो नहीं,
पर पास है मेरे।
हर वक्त तेरे होने का
एहसास है मुझे।
जो लम्हा तेरे साथ
बिताया था मैंने,
उस लम्हे की हर एक बात
याद है मुझे।
तेरे होंठों पर जब मुस्कराहट
ने दस्तक दी थी,
तुझे देख बेवक्त मुस्कुराना
याद है मुझे।
मशहूर था तू
तेरी ज़िंदादिली के लिए,
हर वक्त लोगों का
तेरे पास आना
याद है मुझे।
हम कब ख़ुद को खो बैठे,
ये पता भी न चला।
उस भीड़ में
तेरा मुख्तलिफ होना
याद है मुझे।
हम दूर ही थे,
फिर भी क़रीब आ गए।
तेरी आँखों से गुफ्तगू करना
याद है मुझे।
मेरी ज़िंदगी को एक नई
उम्मीद तूने दी,
मुझे बेख़ौफ़ होकर जीना,
सिखाना याद है मुझे।
Naseema Khatoon
TU SATH TOH NAHI
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