This motivational poem speaks directly to a weary soul, reminding it that fatigue is not defeat. It emphasizes resilience, the power of the present moment, and the courage to rise after every failure. The verses inspire us to confront fears, embrace uncertainties, and take the next step toward a brighter destiny, refusing to label temporary setbacks as failures.
एक और कदम
तू थका हुआ है,
हारा नहीं।
ख़ुद को समझ,
ज़रा थम जा।
जरा सांस तो ले,
फिर कदम बढ़ा।
अपनी इस थकन को
हार ने का नाम मत दे,
तेरे मुकद्दर में जीत है,
बस एक दो बार गिर जाने को,
शिकस्त का नाम मत दे।
हाँ तेरे कदम
डगमगाए हुए हैं,
हां तेरे ज़ेहन में
कई सवाल आये हुए हैं,
क्या होगा जो
तेरी दास्तान अधूरी रह जाएगी।
कैसे जी पायेगा
तू ये जिंदगी,
जिसमें हर रोज़
तेरी शिकस्त तुझे याद आएगी।
डर का सामना कर
कदम बढ़ा,
तेरा कल क्या है,
तुझे नहीं पता।
पर तेरा आज तेरे मुट्ठी में है,
इसको थाम और
एक और कदम बढ़ा।
Naseema Khatoon
EK AUR KADAM – SAFAR ABHI BAAKI HAI
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