Hindi poem-Main Sabse alag hoon
मैं सबसे अलग हूँ मैं अलग हूँ शायद मैं चुप नहीं रहती एक ideal औरत मुस्कुरा कर सब सहती है पर मैं ideal नहीं हूँ शायद मैं बेबाकी से खुद की सोच रखती हूँ मैं शायद 'black sheep' हूँ जिसे खुद को black कहने में कोई दर्द नहीं होता पर हाँ ! जब कोई दिल की आवाज़ को दबाये तो बर्दाश्त नहीं होता मैं अलग हूँ मेरी अपनी एक सोच है और अपनी एक पहचान मुझे किसी की सोच को आंख बंद कर accept करना नहीं आता जब कोई मेरी बेज़्ज़ती करे तो उसे सहना नहीं आता हो सकता है जिस जगह तुम रहते थे वहाँ की गालियां काफी तंग हो और वहाँ अँधेरा रहा होगा पर मैं अलग हूँ ! मैं रौशनी से आयी हूँ, और मैं उन्हें चाहती हूँ जिन्हे रौशनी पसंद ह। Naseema Khatoon
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