Layak Poem is related to a persons journey – a restless soul striving to prove its worth amidst doubt and discouragement. It speaks of resilience and self-belief, capturing the determination to push through challenges and uncover their true purpose. It’s a story of courage, inner strength, and the unwavering quest to discover who that person is meant to be.
लायक
अँधेरे में रौशनी की तलाश में,
मैं युन्ही निकल पदा
कुछ पाने की चाहत में।
वो कहते हैं,
कुछ भी करने का हुनर नहीं है मुझमे।
पर ना जाने क्यों
ये दिल बेकरार है
कुछ कर जाने की ख्वाहिश में।
मैं कितना लायक हूं,
ये जानते हैं सब।
पर इस दिल को कैसे समझाऊँ
जो उन्हें मानता नहीं।
कड़कती धूप, गरजते बदलो की परवाह किये बिना।
मैं युन्ही चला जा रहा,
जिंदगी को अपना बना।
मेरे रूह को भी कुछ जवाब देना है।
मैं किस लायक हू, उसे खुद पता करना है।
Naseema Khatoon
SHORT POEM – KYA MAI LAYAK HOO?
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