This poem explores the emotional and philosophical distances – or FAASLA – between two people in love. It delves into contrasts in their perspectives, dreams, and definitions of love. The poet beautifully portrays a longing for true connection while emphasizing self-reliance, self-worth, and the desire for genuine companionship. The piece resonates with the readers who have felt the pull of love yet struggled with the gaps in understanding and expectations between partners.
फ़ासला
फ़ासला है हमारे दरमियां
मुख़्तलिफ़ सोचों का फ़ासला
ज़िंदगी से ख़्वाहिशों का फ़ासला
मेरे ख़्वाबों की उड़ान में
तेरे साथ का फ़ासला
तेरी ज़िंदगी में
मेरी अहमियत का फ़ासला
यक़ीनन मुझे मोहब्बत है तुझसे
हाँ, तेरे साथ की ज़रूरत है मुझे
पर मेरे वजूद की चाहत कुछ और भी है ख़ुद से
जब आईने में देखूं, तो दिल खोल मुस्कुराऊं
अपनी क़ाबिलियत पर ख़ुद को थपथपाऊं
जब धूप पड़े सर पर तो ख़ुद की छतरी फैलाऊं
अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए कभी हाथ ना फैलाऊं
तुम मुझसे सलाह मांगो... ऐसी जगह चाहती हूँ
सिर्फ़ लफ़्ज़ों में नहीं
हक़ीक़ी मोहब्बत चाहती हूँ
पर फ़ासला है हमारे दरमियां
मेरी मोहब्बत के मायने में और तेरी मोहब्बत के मायने में
Naseema Khatoon
SHORT POEM – FAASLA
Also Read – SHORT POEM – EK TARFA PYAAR
Check out my book ‘THE TREE AND THE WIND’ on Kindle
Please follow and like us: