‘Tum Mohabbat ho meri’ poem is a heartfelt of love, comfort, and companionship. It beautifully captures the warmth of being with someone who brings peace to the heart and strength to the soul. It’s about a love so deep that it becomes life itself-where just the presence of a beloved makes everything feel right. If you’ve ever found solace in someone’s embrace, if their presence makes your world shine a little brighter, this poem will resonate deeply with you.

तुम मोहब्बत हो मेरी
तुम्हारे साथ वक़्त बिताना
अच्छा लगता है
जब तुम साथ नहीं होते हो मेरे,
तुम्हारे बारे में सोचना
अच्छा लगता है
इस चाहत की हद क्या है,
मुझे पता नहीं,
बस तुम्हें पास पाकर
दिल को सुकून मिलता है
सुबह जब निगाहें खोलती हूँ
खुद को तेरी बाहों में पाकर
शुक्र अदा करने को जी करता है
कमज़ोर लम्हों में जब दिल खुद को
अकेला महसूस करता है,
आस-पास सब होता है
फिर भी दिल को कहीं सुकून नहीं मिलता है
तब तेरा मेरे क़रीब आना,
बिना कुछ बोले
मेरे बिखरे हुए वजूद को
अपनी बाहों में समेटना
मेरी खोई हुई उम्मीद को
फिर से रोशन कर जाता है
तेरा पास होना
मुझे खुद पर फिर से
एतमाद दिला जाता है
मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ,
अपनी हदों को तोड़ कर
आगे बढ़ना चाहती हूँ
तेरा साथ मुझे हिम्मत देता है
मैं जब लड़खड़ाती हूँ,
तो तेरा सहारा देता है
मेरी जहाँ रौशन है तुझसे,
मेरी ज़िन्दगी का मरकज़ है तू
मैं खुशकिस्मत हूँ
जो तू मुझे मिला
मेरी मोहब्बत नहीं
ज़िन्दगी है तू I
Naseema Khatoon
TUM MOHABBAT HO MERI
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